अस्ताचलगामी अक्षय उर्जा महाग्रहपर्व की हृदय की गहराईयों सें भारत नागरिकों, विशेषकर वैज्ञानिक विचारधारा के लोगों को शुभकामनाएँ

आज दिनांक- 26/अक्टूबर/2025,दिन सोमवार
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अस्ताचलगामी अक्षय उर्जा महाग्रहपर्व की
हृदय की गहराईयों सें भारत नागरिकों, विशेषकर वैज्ञानिक विचारधारा के लोगों को शुभकामनाएँ
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उदय और अस्त, अस्त और उदय, प्रकृति का शास्वत नियम है और ये अखण्ड विज्ञान है ”

“नये प्राकृत-यौवन का करो स्वागतम् ” नर- मादा सर्वोत्तम!

“जिसका उदय होता है, उसका अस्त होना निश्चित है”, और फिर प्रस्फुटित होकर उदय होता है ”

पर सुर्यषष्ठी (छठ) महापर्व हमें यह सिखाता है कि जो “अस्त” होता है, उसका पुनः “उदय” भी उतना ही निश्चित है। सब कुछ प्रकृति का है, हमलोग सिर्फ अभिनायक और अधिनायक है, अकेला अवतरित होना है, सब कुछ के लिए झगगङना है, शरीर भी छोङ कर चले जाना है, यदि हमारे शरीर से प्राकृतिक जीवों को सुख मिलता है तो सुख दे दिजिए, यह शरीर कफन मे लिपटकर, दफन और दहन होकर प्राकृतिक पंचतंत्र में सदा के लिए विलिन हो जायगा,
यह पर्व केवल सूर्योपासना नहीं, बल्कि प्रकृति, श्रम, श्रद्धा और संयम के अद्भुत संगम का प्रतीक है। यह पर्व प्राकृतिक सनातन “विज्ञान” है।
यह हमें जीवन में संतुलन, धैर्य और पुनर्जागरण का अमर संदेश देता है कि अंधकार के बाद प्रकाश अवश्य आता है, और हर अस्त होते सूर्य के बाद एक नई भोर जन्म लेती है।
इसी प्रेरणा के साथ…
विज्ञानमेव जयते, भारत सरकार, आपको लोकआस्था, प्रकृति-आस्था, पर्यावरण और पवित्रता के पर्व छठ, सुर्योपस्ना महापर्व की हार्दिक, मंगलमय एवं अनंत शुभकामनाएँ! वैज्ञानिक अभिवादन!!!!!

आप हमारे लिए प्रेमपूर्वक एक बार मुस्कुराईये, सुख शांति, समृद्धि के लिए…बस और कुछ नहीं । अब सोचिये मत विज्ञानमय हो जाईये.
☘️प्रकृति की जय हो🌸

विज्ञानाचार्य
डाॅ बासुदेव कुमार शर्मा
प्रधान संपादक [भौतिकविज्ञानी] विज्ञानमेव जयते भारत सरकार
अखण्ड भारत गणराज्य
जय विज्ञान-जय भारत
🌎प्रणाम् 🌏

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